प्रेमानंद महाराज जी का जीवन अत्यंत प्रेरणादायक और भक्ति से परिपूर्ण है। वे वर्तमान समय में भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के परम भक्तों में से एक हैं। उनके प्रवचन और भजन पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। उनके जीवन का परिचय इस प्रकार है,
जन्म और प्रारंभिक जीवन : प्रेमानंद महाराज जी का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के सरसौल क्षेत्र के अखरी नामक गांव में हुआ था। उनका जन्म एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ। बचपन से ही वे आध्यात्मिकता और भक्ति की ओर आकर्षित थे। उन्हें सांसारिक विषयों में विशेष रुचि नहीं थी। 13 वर्ष की अल्पायु में उन्होंने गुरु से दीक्षा लेकर संन्यास मार्ग अपना लिया। वे वृंदावन आए और यहां राधारानी और श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो गए। उनका समर्पण और तपस्या अद्वितीय है। आश्रम स्थापना: वृंदावन में उन्होंने श्री राधाकेली कुंज नामक आश्रम की स्थापना की, जो अब लाखों श्रद्धालुओं के लिए भक्ति का केंद्र है। भजन और प्रवचन: प्रेमानंद महाराज अपने भक्तिमय भजनों और प्रवचनों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके भजन हृदय को छूने वाले होते है,
और राधा-कृष्ण की भक्ति में डुबो देते हैं। उनकी शैली में भक्ति, ज्ञान और आध्यात्मिक संदेश का अद्भुत समन्वय होता है।विशेषताएं और प्रेरणा : प्रेमानंद महाराज जीवन को राधा-कृष्ण की भक्ति के माध्यम से देखने और जीने की प्रेरणा देते हैं। वे मानते हैं कि हर व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य भगवान की भक्ति और सेवा करना है। उनके अनुसार, राधारानी की कृपा से ही भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति संभव है।
वर्तमान समय में योगदान:
दर्शन और सत्संग : प्रेमानंद महाराज जी वृंदावन स्थित श्री राधाकेली कुंज आश्रम में रहते हैं। वे प्रतिदिन सत्संग और भक्ति कार्यक्रम आयोजित करते हैं। उनके प्रवचनों और सत्संग का समय निश्चित होता है, और उन्हें सुनने के लिए देश-विदेश से भक्त आते हैं।
प्रेमानंद महाराज का संदेश है कि जीवन को सरल, निष्कपट और भगवान की भक्ति में समर्पित रखना चाहिए। उनका जीवन हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो भक्ति और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलना चाहता है।परमानंद महाराज जी, जिन्हें वृंदावन वाले प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज के नाम से भी जाना जाता है, मिलने के लिए आपको उनके आश्रम जाना होगा। श्री राधाकेली कुंज आश्रम, वृंदावन, उत्तर प्रदेश। यह आश्रम इस्कॉन मंदिर के पास परिक्रमा मार्ग पर स्थित है।यह स्थान भक्ति वेदांत हॉस्पिटल के ठीक सामने है।
दर्शन का समय :
महाराज जी से व्यक्तिगत रूप से मिलने का समय रात 2:30 बजे होता है। इस दौरान वे भक्तों से बातचीत करते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। महाराज जी से मिलने के लिए टोकन लेना अनिवार्य है। टोकन की व्यवस्था आश्रम में की जाती है। टोकन वितरण का समय: प्रतिदिन सुबह 9:30 बजे टोकन दिए जाते हैं। आधार कार्ड अनिवार्य: टोकन प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड साथ लाएं।
मुलाकात का दिन: टोकन मिलने के बाद आप अगले दिन सुबह 6:30 बजे महाराज जी से व्यक्तिगत रूप से मिल सकते हैं। इस दौरान लगभग 1 घंटे तक भक्तों को महाराज जी से बातचीत का अवसर मिलता है। निकटतम रेलवे स्टेशन: मथुरा जंक्शन। वृंदावन पहुंचने के बाद आप ऑटो या टैक्सी के जरिए राधाकेली कुंज आश्रम तक जा सकते हैं! सत्संग और प्रवचन महाराज जी के आश्रम में नियमित रूप से सत्संग और भजन कार्यक्रम आयोजित होते हैं। सत्संग में भाग लेकर आप उनकी शिक्षाओं और भक्ति से प्रेरणा ले सकते हैं।
महत्वपूर्ण सुझाव :आश्रम में जाने से पहले आश्रम प्रबंधन से संपर्क कर लें, ताकि दर्शन और मिलने की प्रक्रिया में कोई समस्या न हो।
@Avadh_Tak_News_Team
Social Media