दहेज के लोभीओं एक दिन तुम भी अपनी बेटी की शादी करोगे तब तुम्हें पता चलेगा बाप का दर्द क्या होता है दहेज मागने वाले लोग को थोड़ा तो शर्म आनी चाहिए तुम लोगों को दूसरे के धन बल पर राज करना चाहते हो!जरा सी भी दया नहीं आती! इतना पैसा सोचो उस बेटी का बाप कैसे इकट्ठा किया होगा कितनी मेहनत से किया होगा अपनी बेटी का घर बसाने के लिए अरे दहेज के लोभीयों थोड़ा तो हमदर्दी होना चाहिए हर घर में सब की बहन बेटियां हैं/
सब को जीने का हक है अभी संभल जाओ
दहेज प्रथा बंद करो जीने दो उन गरीब परिवार को उन मासूम बेटी के पिता को जिनके भी एक सपने होते हैं कि मेरी बेटी भी बड़े घर में जाए आप सभी से मेरी गुजारिश है हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूं आप सभी छोटे बड़े भाइयों के एक बार आप सभी के पांव छू कर प्रार्थना करता हूं! प्लीज खुद समझो समझे और दूसरों को समझाएं दहेज प्रथा बिल्कुल बंद करें! और अपने देश से गरीबी दूर करें ताकि खुशहाल रहे वह भी मां-बाप उनके भी सपने पूरे हो!!
10 लाख का दहेज़ 5 लाख का खाना घड़ी पहनायी अंगूठी पहनाई मांडे का खाना
फिर सब सुसरालियो को कपड़े देना ,बारात को खिलाना फिर बारात को जाते हुए भी साथ में खाना भेजना बेटी हो गई कोई सज़ा हो गई। और यह सब जब से शुरू होता है जबसे बातचीत यानी रिश्ता लगता हैफिर कभी ननद आ रही है, जेठानी आ रही है बेटी की मां चेहरे पे हलकी सी मुस्कराहट लिए सबको खाना पेश करती है सबका अच्छी तरह से स्वागत करती है ।
फिर जाते टाइम सब लोगो को 500-500 रूपे भी दिए जाते है फिर मंगनी हो रही है ब्याह ठहर रहा है फिर बारात के आदमी तयहो रहे है 500 लाए या 800बाप का एक एक बाल कर्ज में डूब जाता है और बाप जब घर आता है।शाम को तो बेटी सर दबाने बैठ जाती है कि मेरे बाप का बाल बाल मेरी वजह से कर्ज में डूबा है।
मानवता के वास्ते इन गंदे रस्म रिवाजों को खत्म कर दो ताकि हर बाप, कर्ज में डूबा ना हो व अपनी बेटी को इज़्ज़त से विदा कर सके।
बदलाव एक कोशिश
आप सभी का छोटा भाई
लव पाण्डेय
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