प्रेमानंद महाराज वृंदावन के पूज्य संत है ।
जिनका दर्शन करने के लिए देश विदेश से भी लोग आते हैं।आज हम आपको बताएंगे की आप प्रेमानंद जी महाराज से कैसे मिल सकते हैं।और महाराज जी से मिलने के लिए क्या करना पड़ता है। प्रेमानंद जी महाराज प्रत्येक दिन सुबह लगभग 2.से 3 बजे परिक्रमा मार्ग पर निकलते हैं। पहले तो परिक्रमा करते हैं और फिर यमुना जी में स्नान करने के लिए जाते थे तब भी आप रास्ते में भी मिल सकते हैं और अगर आप चाहे तो उनके आश्रम पर पहुंच कर मिल सकते हैं।लेकिन उनसे वार्तालाप नहीं कर सकते उनसे अगर आप वार्तालाप करना चाहते हैं तो आपको उनके जो आश्रम है आश्रम में जाना पड़ेगा जाकर उनका जो सेवादार है सेवादार से बात करना पड़ेगा और अपने मन में क्या हुआ जो भी सवाल है प्रश्न है वह आप उनसे पूछ सकते हैं , वह लोग आपके सवाल का चैत बनाकर गुरु जी को देगा वह सवाल आपको नेक्स्ट दिन जब सत्संग बैठेगा , तब आपको उसे सवाल का जवाब दिया जाएगा उसके लिए आपको लगभग दो दिन इंतजार करना पड़ा सकता है।
ऐसा नहीं कि अब जाते हैं और गुरुजी सत्संग में बैठ जाते हैं और आपका सवाल का जवाब दे देता है क्योंकि पूरा देश विदेश से बहुत सारे लोग आते हैं बहुत भीड़ भी होता है तो आपको प्रतीक्षा करना पड़ेगा गुरुजी के दर्शन के लिए वहां पर जाकर रहना पड़ेगा रहकर आपको उसका दर्शन करना है उनसे वार्तालाप आप कर सकते हो ।महाराज जी का आश्रम श्री हित राधा निकुंज परिक्रमा मार्ग पर है।।
प्रेमानंद महाराज सिद्धि और चमत्कार क्यों नहीं करते हैं।
सिद्धि और चमत्कारो उससे दूरी बनाकर चलने के कारण भी प्रेमानंद जी महाराज की चर्चाएं होती रहती हैं।वो कहते हैं की ये सब सिर्फ लोगो का भ्रम की किसी के सर पर हाथ फेरने से सारी बिमारी गायब हो जाती है।और चमत्कार हो जाता है या किसी को आशीर्वाद देने से वो अमीर हो जाता है।महाराज जी कहते है । दुनिया में सिर्फ एक है जो आपके साथ चमत्कार कर सकता है और वो है । राधा रानी जी आप नाम जप करिए आपको सब कुछ मिल जायेगा जो आप चाहते हैं।आप अपने जीवन में जो मुकाम हासिल करना चाहते हो सब हो जायेगा बस आप राधा नाम का आसरा ले लो श्री जी आपका हर सपना पूरा कर देंगी।
प्रेमानंद महाराज का बचपन कैसा रहा।
प्रेमानंद महाराज जी का जन्म कानपुर के सरसौला ब्लाक के अखरी गांव में हुआ था।महाराज जी के पिता का नाम शंभू पाण्डेय है।और माता का नाम राम देवी है।और प्रेमानंद महाराज के गुरु जी का नाम श्री गौरांगी शरण जी महाराज है। महाराज जी का पूरा परिवार साधु संतो का सेवा करता था। जिसे देखकर बचपन से ही आध्यात्म की ओर मन जाने लगा था।और फिर बचपन में ही घर छोड़कर वाराणसी चले गए। कुछ साल तक वहा रहे और भगवान शिव के परम् भक्त थे फिर कुछ समय के बाद भगवान शिव के प्रेरणा से वृंदावन आ गए और राधा रानी के सेवा में लग गए।।
Social Media