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Gyanvapi Survey report: अयोध्या के बाद अब काशी और मथुरा ईदगाह में हिंदुओ की जीत मुस्लिम पक्ष को लग सकता है झटका

 Gyanvapi Survey report Asi: ज्ञानवापी मामले से जुड़ी एएसआई रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक ज्ञानवापी परिसर में मंदिर के कुछ अंश पाए गए हैं। मामले को अभी 1991 पूजा स्थल कानून की परीक्षा से गुजरना होग।


ज्ञानवापी मामले का एएसआई रिपोर्ट आने के बाद हिंदू पक्ष अब केंद्र सरकार से इस मामले में कुछ पहल करने की मांग कर रहा है।

क्या था पूरा मामला ।

वाराणसी की जिला अदालत में जुलाई 2023 में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई को सौप था। उसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें यह निष्कर्ष निकलकर सामने आया है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले उसे स्थान पर एक हिंदू मंदिर मौजूद था, आपको बता दें कि हिंदू पक्षकार लगातार बहुत दिनों से दावा कर रहे थे की मस्जिद 17वीं शताब्दी के मूल काशी विश्वनाथ मंदिर को विनाश करने के बाद उसे स्थान पर बनाई गई थी लेकिन इस बात को लेकर मुस्लिम पक्षकार मानने को तैयार नहीं थे। अब जब एएसआई को यह मामला सोपा गया तो एएसआई को यह पता लगाने का काम सौंप दिया गया कि क्या मस्जिद एक हिंदू की मंदिर पहले से मौजूद थी उसे तोड़कर बनाई गई थी या यहां पर पहले से ही मस्जिद थी। एएसआई ने पिछले एक महीने एक सील बंद कर में अपने रिपोर्ट अदालत को सौंप थी। इसकी प्रतिक्रिया गुरुवार को अदालत ने हिंदू और मुस्लिम दोनों बच्चों को सौंप दी रिपोर्ट में कहा गया कि वैज्ञानिक अध्ययन वास्तु शिल्प अवशेष उजागर विशेषताओं और अल कृतियां शिलालेखों कला और मूर्तियों के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है, कि मौजूदा संरचना के निर्माण के पहले वहां पर एक हिंदू मंदिर मौजूद था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एक कमरे के अंदर पाए गए अरबी फारसी शिलालेख में उल्लेख है, की मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के 20वें शासन काल यानी सन 1967 से 1977 के बीच में किया गया था। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है, कि पहले से मौजूद संरचना को 17वीं शताब्दी में औरंगजेब ने शासन काल के दौरान मंदिर को नष्ट कर दिया था इसके कुछ हिस्से को संशोधित किया गया था और मौजूद संरचना का पूरा उपयोग किया गया था।

ज्ञानवापी परिसर का विवाद क्या है ।

हिंदू पक्ष का दावा है कि वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के नीचे 100 फीट ऊंचा आज विशेश्वर का शंभू ज्योतिर्लिंग है। काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने कराया था। लेकिन औरंगजेब ने साल 1964 में मंदिर को तोड़ दिया। और मंदिर को तोड़कर उसी स्थान पर मस्जिद का निर्माण कराया गया जो की आज्ञा बापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है। अदालत में याचना करता हूं ने मांग किया कि ज्ञान पापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर पता लगाया जाए की जमीन के अंदर का भाग मंदिर का अवशेष है या नहीं है। साथी विवादित ढांचे की फर्श तोड़कर यह भी पता लगाया जाए की 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग शंभू विशेषण भी मौजूद है या नहीं। यात्रा करता का दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ था। इन्हीं दावों पर अदालत ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए एएसआई सर्वे का सर्वेक्षण करवाया था।

एएसआई रिपोर्ट में क्या बताया गया है।

बुधवार 24 जनवरी को जिला जज डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश्वर की अदालत ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें वादी पक्ष को सर्वे रिपोर्ट दिए जाने के आदेश दिया गया है। वहीं अगले ही दिन यानी 25 जनवरी को रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक ज्ञानवापी में मंदिर के जो कुछ अंश है वह मिले हैं। असी रिपोर्ट के मुताबिक ज्ञानवापी हिंदू मंदिर था। सर्वे के दौरान 32 जगह मंदिर से संबंधित प्रमाण मिले हैं। पचकारों ने जो सर्वे रिपोर्ट दी है वह 839 पेज की है। पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का हिस्सा है। इसे आसानी से पहचाना जा सकता है जो स्तंभ मिले हैं वह हिंदू मंदिर के हैं। अनस्तंभों का दोबारा इस्तेमाल किया गया है। देवनागरी ग्रंथ तेलुगू ऑल कनाडा भाषा में लिखो शिलालेख भी मिले हैं। एक जगह महा मुक्ति मंडप लिखा है या महत्वपूर्ण सक्ष है। आशी के मुताबिक मंदिर 17वीं साड़ी में तोड़ा गया था इसकी तिथि 2 सितंबर 1969 हो सकती है। मंदिर के जो पिलर हैं उन्हीं का इस्तेमाल मस्जिद बनाने में किया गया है। तहखाना में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। अयोध्या की तरह ही मस्जिद से पहले मंदिर का एक्स्ट्रा स्ट्रक्चर मिला है